बुधवार, 8 अप्रैल 2009

राजा मेहदी अली खां

प्रसिद्ध सिने गीतकार तथा उर्दू के जाने माने शायर राजा मेहदी अली खां उम्र में मुझसे बड़े, लेकिन बहुत प्रिय मित्रों में से एक थे। निरंतर बीस साल वह $िफल्मों के लिए गीत लिखते रहें। बच्चों के लिए गीत 'नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए,Ó देश भक्ति से ओतप्रोत 'वतन की राह में वतन के नौजवांÓ और 'जो हमने दास्तां अपनी सुनाई आप क्यों रोए,Ó 'अगर मुझसे मोहब्बत है मुझे सब अपने $गम दे दो,Ó जैसे लगभग तीन सौ अमर गीत उन्होंने लिखे, जो आज भी गाए और गुनगुनाए जाते हैं।
राजा साहब की $िफल्मी •िांदगी से संबंधित कई मार्मिक घटनाएं मन की भावनाओं को आज भी प्रभावित करती हैं। $िफल्म 'वह कौन थीÓ की शूटिंग चल रही थी। इसकी हीरोइन साधना पर राजा साहब का लिखा हुआ गीत 'लग जा गले से कि फिर यह मुला$कात हो न होÓ $िफल्माया जा रहा था कि साधना अनायास फूट-फूट कर रोने लगी और $िफल्म की शूटिंग रोक दी गई। कुछ देर बाद पता चला कि साधना पर इस गीत का इतना गहरा असर हुआ कि वह अपने आंसू नहीं रोक सकीं।
$िफल्म 'मेरा सायाÓ बन रही थी। प्रोड्यूसर प्रेमजी, गायिका लता मंगेशकर और संगीतकार मदन मोहन $िफल्म के टाइटल सॉन्ग के लिए गीतकार राजा मेहदी अली खां का बेचैनी से इंत•ाार कर रहे थे। वह लेट आए। गीत भी तैयार नहीं था। सभी निराश और बेचैन हो गए। राजा साहब बैठ गए। का$ग•ा का एक टुकड़ा उठाया और कुछ ही मिनटों में गीत लिखकर मदन मोहन की ओर बढ़ा दिया। यह गीत उन्हें इतना भाया कि राग अनंदी में उसी समय धुन तैयार हो गई। अगले दिन लता जी ने अपनी आवा•ा में इसे रिकार्ड करा दिया। यह गीत था- 'तू जहां जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगाÓ- जो इतना लोकप्रिय हुआ कि अपने आप में मिसाल बन गया। राज खोसला की $िफल्म के लिए 'झुमका गिरा रे बरेली के बा•ाार मेंÓ भी इसी प्रकार लिखा गया था।
इसी प्रकार की एक घटना $िफल्म डायरैक्टर मोहन कुमार के साथ घटी। उन्होंने आपनी $िफल्म 'अनपढ़Ó के लिए राजा साहब से गीत लिखने की $फरमायश की। राजा साहब ने वादा भी कर लिया, लेकिन भूल गए। कुछ दिनों बाद अचानक उनकी मुला$कात राजा साहब से मदन मोहन के घर हो गई। मोहन कुमार ने स$ख्त गिला किया, तो राजा साहब ने वहीं बैठे एक गीत के बोल लिख दिए। गीत था- 'आपकी न•ारों ने समझा प्यार के $काबिल मुझे!Ó यह गीत बाद में बहुत लोकप्रिय हुआ तथा आज भी इसका शुमार बीते समय के उन बेहतरीन गीतों में होता है, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
बतौर गीतकार राजा साहब को दुनिया जानती है। वह अत्यंत लोकप्रिय शायर एवं व्यंग्यकार भी थे। बड़े शायरों की ग•ालों की पैरोडी लिख कर उन्होंने बेहतरीन $फन का मु•ााहिरा किया है। ज$फर की मशहूर ग•ाल लगता नहीं है, जी मेरा उजड़े दयार में की पैरोड़ी देखें—
बिकता नहीं है घी मेरा उजड़े दयार में
भूखा मरूंगा आलमे नापायदार में
$िफल्मी शायरी का बादशाह, अपने समय का हास्य-व्यंग्य का सबसे बड़ा शायर राजा मेहदी अली $खां जब इस दुनिया को अलविदा कह कर गए, तो उसके तकिए के नीचे साठ रुपए व बैंक की पासबुक में सि$र्फ तीन सौ चालिस रुपए का बैंक बैलेंस था। यह था राजा की बीस वर्षीय $िफल्मी •िांदगी का लेखा-जोखा।
डॉ। केवल धीर
(दैनिक भास्‍कर के रसरंग से )

शनिवार, 4 अप्रैल 2009

मोहब्बत कर लो

किसी गीत में अगर सुमन कल्याणपुर की आवाज़ गूंजती है, तो उस आवाज़ को लोग अक्सर लताजी की आवाज़ समझने की $गलती कर लेते हैं...
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रेडियो पर एक $गलती अक्सर होती है। वो है सुमन कल्याणपुर की आवाज़ का लता जी की आवा•ा और लता जी की आवा•ा को सुमन कल्याणपुर की आवा•ा समझने की। शायद इसी का नु$कसान उठाना पड़ा था सुमन जी को अपने लंबे कैरियर में। सुमन कल्याणपुर एक दिव्य स्वर हैं, लेकिन कभी-कभी •ामाना ऐसी आवा•ाों की $कीमत नहीं पहचानता और यही सुमन जी के साथ होता चला आया है। सुमन कल्याणपुर का नाम असल में सुमन हेमाड़ी था। विवाह के बाद वो कल्याणपुर हो गईं। 1937 में ढाका में पैदा हुई सुमन जी 1943 में परिवार के साथ मुंबई आ गईं। यहीं पर संगीत की उनकी तालीम शुरू हुई। एक दिन जाने-माने प्लेबैक सिंगर तलत महमूद ने एक संगीत-समारोह में सुमन जी को गाते हुए सुना और उनकी आवा•ा से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने सुमन के नाम की सि$फारिश एक म्यू•िाक कंपनी में की। कहते हैं कि 17 बरस की उम्र में 1954 में सुमन जी का पहला गीत शे$ख मु$ख्तार की $िफल्म 'मंगूÓ में आया था। उस समय $िफल्म के संगीतकार मोहम्मद शफी थे, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें हटाकर ओपी नैयर को ले लिया गया था। उन्होंने सुमन जी के गाने को हटाकर आशा भौंसले और गीता राय की आवा•ा ले ली थी। हालांकि ओपी नैयर ने कई बार बताया कि उन्हें सुमन जी की आवा•ा से या उनसे निजी रूप से कोई दिक्कत नहीं थी। बाद में इसी $िफल्म में नैयर ने सुमन जी से केवल एक गाना गवाया —'कोई पुकारे धीरे से तुझेÓ। इसी साल सुमन जी को $िफल्म 'दरवा•ााÓ में भी गाने का मौ$का मिला। दिलचस्प बात यह है कि 'मंगूÓ का गाना भले ही पहले रिकॉर्ड हो गया हो, पर शाहिद लतीफ की $िफल्म 'दरवा•ााÓ इससे छह महीने पहले प्रदर्शित हुई। इस $िफल्म में सुमन कल्याणुपर को नौशाद के साथ काम करने का मौ$का मिला। इसमें सुमन जी ने तलत महमूद के साथ बड़ा प्यारा गीत गाया था—'एक दिल दो हैं तलबगार बड़ी मुश्किल हैÓ। कभी मौ$का मिले, तो यह गाना •ारूर सुनिए। और भी दिलचस्प बात यह है कि 'दरवा•ााÓ वो पहली रिली•ा $िफल्म नहीं थी, जिसमें सुमन जी का गाया गीत आया हो, बल्कि इससे कुछ महीने पहले गुरूदत्त की $िफल्म 'आर-पारÓ आ गई, जिसमें सुमन जी का गाया गीत—'मोहब्बत कर लो जी भर लो अजी किसने रोका हैÓ। इस गाने में मोहम्मद र$फी और गीता रॉय भी शामिल थे। दिक्कत यह थी कि अब तक सुमन को वो ख्याति नहीं मिली थी, जिसकी वो ह$कदार थीं। इसके लिए सुमन कल्याणपुर को पूरे तीन साल इंत•ाार करना पड़ा। आ$िखरकार 1957 में आई $िफल्म 'मिस बॉम्बेÓ जिसके संगीतकार थे हंसराज बहल। इस $िफल्म में मो। र$फी के साथ गाया सुमन कल्याणपुर का यह गीत बड़ा लोकप्रिय हुआ—'दिन हो या रात, हम रहें साथ साथ यह हमारी मर्•ाीÓ। इसके बाद सुमन कल्याणपुर को बहुत काम मिलना शुरू हो गया,लेकिन दिक्कत यह रही कि $िफल्म-जगत में यह बात प्रचलित हो गई कि सुमन लता जी की आवा•ा की नकल करती हैं। सुमन जी को अपनी अलग पहचान कराने में कड़ा संघर्ष करना पड़ा। तब जाकर आए उनके कुछ ऐसे गाने, जो अनमोल रत्न हैं। सुमन कल्याणपुर ने हेमंत कुमार के साथ कुछ अनमोल गाने गाए हैं— जैसे 'प्यासे पंछीÓ $िफल्म का गीत—'तुम्हीं मेरे मीत होÓ, जिसे कल्याणजी-आनंदजी ने स्वरबद्ध किया था। दिलचस्प बात यह है कि लता मंगेशकर और सुमन कल्याणपुर ने कुछ गीत एक साथ भी गाए हैं। जैसे 1959 में आया $िफल्म 'चांदÓ का गाना—'कभी आज कभी कल कभी परसोंÓ। इस गाने में यह समझना मुश्किल हो जाता है कि कौन-सी आवा•ा लता जी की है और कौन-सी सुमन कल्याणपुर की। $िफल्म 'शगुनÓ $खैैयाम के संगीत और साहिर लुधियानवी के बोलों के लिए याद की जाती है। इस $िफल्म में मोहम्मद र$फी के साथ सुमन कल्याणपुर ने एक कालजयी गीत गाया था। यह गाना आज भी बेहद लोकप्रिय है—'पर्वतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा हैÓ। लंबी $फेहरिस्त है सुमन जी के गानों की। पर आज की यह चर्चा इसलिए कि आप सुमन जी और लता जी की आवा•ाों का भेद पहचानें और सुमन कल्याणपुर को उनके हिस्से की तारी$फ दें।
yunus.radiojockey@gmail.com
(लेखक विविध-भारती में कार्यरत हैं।)