गुरुवार, 21 मार्च 2013

संजय को सज़ा, कैसे बनेगी मुन्नाभाई 3?



सुप्रीम कोर्ट ने  1993 बम विस्फोट मामले में फैसला सुनाया है. संजय दत्त को अवैध रूप से एके-56 रखने के लिए पांच साल  जेल की सज़ा दी गई है.
संजय दत्त इस मामले में पहले ही 18 महीने की सज़ा भुगत चुके हैं. जिसका मतलब है कि उन्हें साढ़े तीन साल की बची हुई सज़ा काटने के लिए जेल जाना होगा.
फैसले के बाद पहली प्रतिक्रिया देते हुए  संजय दत्त ने कहा, ''मैं फैसले की कॉपी देखकर तय करूंगा कि मुझे आगे क्या करना है. फिर भी मैं कहना चाहूंगा कि मुझे न्यायप्रणाली पर पूरा भरोसा है. मेरा परिवार मेरे साथ है और मैंने अभी तक हिम्मत नहीं हारी है.''
इसी मामले में जेल में 18 महीने सज़ा काट चुके संजय दत्त के करीयर को 'मुन्नाभाई' सीरीज़ की फिल्मों ने नई जान दी थी. लेकिन इस फैसले के बाद अब इस सीरीज़ की तीसरी फिल्म के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं.
इस फिल्म को सुभाष कपूर बनाने वाले हैं. इसके अलावा इस वक़्त संजय दत्त राजकुमार हिरानी की 'पीके', रवी कुमार की 'पुलिसगिरी' और अमित मेहरा की 'ज़ंजीर' का हिस्सा हैं.
'ज़ंजीर' में संजय के जो दृश्य हैं वो फिल्माए जा चुके हैं. 'पुलिसगिरी' की 90 प्रतिशत शूटिंग हुई है. 'पीके' के लिए संजय ने चार पांच दिन की ही शूटिंग की है. सुभाष कपूर मुन्नाभाई सीरीज की तीसरी फिल्म का निर्देशन करने वाले हैं. लेकिन अब संजय दत्त के साथ साथ फिल्म का भविष्य भी अधर में लटक गया है! सुनील और नरगिस दत्त के साहबज़ादे संजय दत्त की फिल्मों में भूमिकाएं जितनी नाटकीय और भयावाह रही है, शायद उतनी ही असल ज़िन्दगी में भी.
1993 बम विस्फोटों में कोर्ट ने याकूब मेनन की फांसी की सज़ा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने फ़िल्म स्टार संजय दत्त को पांच साल जेल की सज़ा दी है, जिसका मतलब है कि उन्हें जेल जाना होगा.
रॉकी फ़िल्म से बॉलीवुड का सफ़र शुरू करने वाले संजय दत्त पले-बढ़े तो मुंबई के नामचीन पाली हिल इलाके में लेकिन खुद उन्ही के मुताबिक़, "उनकी संगत दूसरों से ज़रा अलग रही".
अपनी पहली फ़िल्म की कामयाबी के कुछ ही साल बाद  संजय दत्त को ड्रग्स की लत लग चुकी थी और खुद संजय ने इस बात को स्वीकार किया है कि उन दिनों कैंसर से जूझ रहीं उनकी माँ नरगिस की लंबी बीमारी का भी उनपर ख़ासा असर पड़ा था.
संजय दत्त ने तमाम साक्षात्कारों में इस बात को स्वीकार किया है कि उनकी पहली फ़िल्म के रिलीज़ होने से पहले उनकी माँ के निधन ने उन पर गहरी छाप छोड़ी.
बहराल, उनके पिता सुनील दत्त ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया संजय को ड्रग्स की लत से पीछा छुडवाने में.
सुनील दत्त उन्हे इलाज के लिए अमरीका में एक नशा उन्मूलन केंद्र ले गए जहाँ लंबे इलाज के बाद संजय दत्त ने ड्रग्स को अलविदा कहा और दोबारा बॉलीवुड में काम शुरु किया.
इसी के कुछ वर्ष बाद संजय की मुलाक़ात हुई अभिनेत्री ऋचा शर्मा से जो उम्र में उनके बराबर ही थीं और दोनों ने जल्द ही शादी भी कर ली.

सपने चकनाचूर
संजय की निजी ज़िन्दगी में एक भूचाल तब आया जब उनकी पुत्री त्रिशाला दत्त के जन्म के कुछ ही दिन बाद उनकी पत्नी ऋचा को ब्रेन कैंसर हो गया और उन्हें भी अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में एक लम्बे इलाज से गुज़रना पड़ा.
यहाँ पर भी संजय की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और ऋचा शर्मा-दत्त की एक लम्बी बीमारी के बाद मौत हो गई.
संजय दत्त ने इस बीच बॉलीवुड में अपने कदम फिर से जमाने शुरू कर दिए थे और पत्नी की मौत के बाद उन्होंने फिर से अपने करियर पर पूरा दांव लगा दिया.
1989 से लेकर 1993 तक संजय दत्त ने एक के बाद एक  हिट फिल्में दीं जिनमे थानेदार, साजन, सड़क और खलनायक शामिल थीं.
लेकिन उनकी दुनिया तब बदल गईं जब 1993 के मुंबई बम धमाकों में उनका नाम लिया जाने लगा और मॉरिशस में आतिश फ़िल्म की शूटिंग रोक कर उन्हें मुंबई पूछताछ के लिए बुलाया गया और हवाई अड्डे पर ही गिरफ्तार भी कर लिया गया.
पूछताछ के दौरान संजय दत्त ने कथित तौर पर इस बात को स्वीकार किया था कि अबू सालेम जनवरी 1992 में मैग्नम विडियो कंपनी के मालिकों समीर हिंगोरा और हनीफ कड़ावाला साथ उनके घर आए थे.
इन तीनों लोगों को माफिया डॉन दाउद इब्राहिम का नजदीकी बताया गया था और मुंबई हमलों की साज़िश रचने का आरोप दाउद पर लगाया गया था.

एके-56 का सच

बॉलीवुड में संजय दत्त अपनी दरियादिली के लिए जाने जाते हैं.
हालांकि मुक़दमे की सुनवाई के दौरान संजय दत्त ने अपना इक़बालिया बयान बदल दिया.
लेकिन पहले उन्होंने अपने बयान में कथित रूप से स्वीकार किया था कि उन्होंने इन तीनों व्यक्तियों से एक एके-56 रायफल इसलिए ली थी क्योंकि मुंबई में हुए दंगों के बाद उनके परिवार को धमकियाँ मिलीं थीं और उन्हें उनकी सुरक्षा की चिंता थी.
संजय दत्त ने कथित तौर पर इस बात को भी स्वीकार किया था कि जब मुंबई बम धमाके हुए तब वह विदेश में थे और उन्होंने अपने मित्र युसूफ नलवाला से उस रायफल को नष्ट करने के लिए कहा था.
इसी के बाद संजय दत्त को हिरासत में लिया गया था और उनपर टाडा कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था.
संजय को अगले 18 महीने जेल में बिताने पड़े थे और तब जाकर उनकी ज़मानत हो सकी थी.
यह वही समय था जब संजय बदत्त पर फ़िल्म इंडस्ट्री के सैंकड़ों करोड़ रूपये दांव पर लगे थे और वह बॉलीवुड के टॉप सुपरस्टार गिने जाते थे.
राहत
ज़मानत पर रिहा हो जाने के कुछ दिन बाद ही संजय दत्त ने एक बार फिर से अपने करियर पर ध्यान दिया और मुन्नाभाई एमबीबीएस जैसे अनेकों हिट फ़िल्मों में काम किया.
उन्हें एक बड़ी राहत 2006 में तब मिली जब मुंबई बम धमाकों मामले की सुनवाई कर रही टाडा अदालत ने कहा कि संजय एक आतंकवादी नहीं है और उन्होंने अपने घर में ग़ैरकानूनी रायफ़ल अपनी हिफाज़त के लिए रखी थी.
इसके बाद से उन पर टाडा के आरोप ख़त्म कर दिए गए और उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत छह साल की सजा सुनाई गई.
संजय को इसके कुछ ही दिन बाद सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई और उसके करीब छह साल बाद अब अदालत अपना फैसला सुनाएगी.

1993 के मुंबई धमाके: कब, क्या हुआ था
 
1993 के धमाके की एक फाईल फोटो
1993 में हुए बम धमाकों में अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला दिया है जिसमें संजय दत्त के अलावा दाऊद इब्राहिम और याकूब मेमन को दोषी करार दिया गया है. आइए हम आपको बताते हैं कैसे घटनाक्रम आगे बढ़ा है इस मामले में.
12 मार्च 1993 को मुंबई में सिलसिलेवार 12 जगहों पर हुए धमाकों में 257 लोग मारे गए थे जबकि 713 लोग घायल हुए थे. बॉम्बे स्टॉक एक्सेंज की 28-मंज़िला इमारत की बेसमेंट में दोपहर 1.30 बजे धमाका हुआ जिसमें लगभग 50 लोग मारे गए थे.
इसके आधे घंटे बाद एक कार धमाका हुआ और अगले दो घंटे से कम समय में कुल 13 धमाके हो चुके थे.
करीब 27 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था.
4 नवंबर 1993 में 10,000 पन्ने की 189 लोगों के खिलाफ प्रार्थमिक चार्जशीट दायर की गई थी.
19 नवंबर 1993 में यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था.
19 अप्रैल 1995 को मुंबई की टाडा अदालत में इस मामले की सुनवाई आरंभ हुई थी. अगले दो महीनों में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.
अक्तूबर 2000 में सभी अभियोग पक्ष के गवाहों के बयान समाप्त हुए थे.
अक्तूबर 2001 में अभियोग पक्ष ने अपनी दलील समाप्त की थी.
सितंबर 2003 में मामले की सुनवाई समाप्त हुई थी.
सितंबर 2006 में अदालत ने अपने फैसले देने शुरु किए.
इस मामले में 123 अभियुक्त हैं जिनमें से 12 को निचली अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी.
इस मामले में 20 लोगों को उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई थी जिनमें से दो की मौत हो चुकी है और उनके वारिस इस मुकदमा लड़ रहे हैं.
इनके अलावा 68 लोगों को उम्र कैद से कम की सज़ा सुनाई गई थी जबकि 23 लोगों को निर्दोष माना गया था.
नवंबर 2006 में संजय दत्त को पिस्तौल और एके-56 राइफल रखने का दोषी पाया गया था. लेकिन उन्हे कई अन्य संगीन मामलों में बरी किया गया था.
नवंबर 1, 2011 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु हुई थी जो दस महीने चली.
अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
दाऊद, संजय दत्त अभियुक्त
इन धमाकों के मुख्य अभियुक्त दाऊद इब्राहम को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. पुलिस का यह कहना रहा है कि यह धमाके भारत से बाहर रहने वाले दाऊद ने कराए थे.
साल 2006 में मुंबई की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए जिन लोगों को इन धमाकों के लिए दोषी पाया था उनमें एक ही परिवार के चार सदस्यों भी थे.
इनके नाम थे यकूब मेमन, यूसफ मेमन, इसा मेमन और रुबिना मेमन. इन सभी को साजिश और आंतकवाद को बढा़वा देने के लिए दोषी पाया गया था.
ये सभी टाइगर मेमन के रिश्तेदार थे जिन्हें भी पकड़ा नहीं गया था. संजय दत्त को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 18 महीने जेल में बिताने पड़े थे.
टाइगर मेमन के बारे में यह माना जाता है कि वो मुंबई में एक रेस्तरां चलाते थे और दाऊद के करीबी थे.
इन धमाकों के मकसद के बारे में कहा गया था कि यह उन मुसलमानों की मौत का बदला लेने के लिए किए गए थे जो पिछले कुछ महीनों में हुए दंगों में मारे गए थे.